TikTok Whatsapp
टिकटॉक चीन की कंपनी द्वारा तैयार ऐप है। यह वीडियो आधारित सोशल मीडिया है।Joel Saget/AFP

भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के प्रयासों के खिलाफ मुस्लिमों को उकसाने के लिये टिकटॉक, यूट्यूब और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों पर बड़े स्तर पर भड़काऊ वीडियो डाले जा रहे हैं। तथ्यों की जांच करने वाली सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी वॉयेजर इंफोसेक की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, ये वीडियो भारत के साथ ही अन्य देशों में भी शूट किये जा रहे हैं तथा इन्हें मुख्यत: टिकटॉक पर डाला जा रहा है। कंपनी ने यह रिपोर्ट भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र को सौंप दी है। उल्लेखनीय है कि टिकटॉक चीन की कंपनी द्वारा तैयार ऐप है। यह वीडियो आधारित सोशल मीडिया है।

रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस को लेकर गलत जानकारियों तथा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधी परामर्शों के खिलाफ धर्म की आड़ में भड़काऊ सामग्रियों को परोसने में टिकटॉक को मुख्य माध्यम के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। ये वीडियो टिकटॉक पर तैयार किये जा रहे हैं और लोगों के बीच फैलाये जा रहे हैं। वहां से इन्हें व्हाट्सऐप, ट्विटर और फेसबुक जैसे अन्य सोशल मीडिया पर भी शेयर किया जा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच दिन में 30 हजार से अधिक वीडियो का विश्लेषण किया गया है। इसके बाद पाया गया कि इनमें से अधिकांश वीडियो पेशेवर सॉफ्टवेयर की मदद से तैयार किये जा रहे हैं। जिन खातों से इन्हें सबसे पहले शेयर किया जा रहा है, उन्हें वीडियो के वायरल होते ही डिलीट कर दिया जा रहा है।

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रिपोर्ट के अनुसार, ''मुस्लिमों के बीच इस तरह के वीडियो साझा करने वाले कुछ खाते पाकिस्तान के ऐसे मुस्लिम धर्मगुरुओं का प्रचार करते भी पाये गये हैं, जिनके आतंकवादियों के साथ संबंध हैं। इन मामलों में विदेशी ताकतों के हाथ होने को लेकर आगे अलग से जांच की जरूरत है।''

रिपोर्ट तैयार करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के वीडियो तैयार करने में हिंदी और बोलचाल की उर्दू का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पता चलता है कि इनका निशाना भारत के लोग हैं। इनमें से कुछ वीडियो पाकिस्तान और पश्चिम एशिया में बनाये गये हैं तथा बाद में इनमें एडिट करके हिंदी के संवाद डाले गये हैं।

इस बारे में पूछे जाने पर टिकटॉक के एक प्रवक्ता ने भ्रामक सूचनाएं साझा करने के प्रयासों की निंदा की। उसने कहा, ''हम लगातार निगरानी कर रहे हैं तथा अने मंच से वीडियो, ऑडियो व तस्वीरों समेत उन सभी सामग्रियों को हटा रहे हैं जो हमारे दिशानिर्देशों और सरकार के परामर्शों के खिलाफ हैं।''

ट्विटर के प्रवक्ता ने इस बारे में कहा कि कंपनी लोगों को बरगलाने वाली तथा नफरत फैलाने वाली सामग्रियों को हटाने के लिये मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कर रही है।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इंटरनेट पर फर्जी खबरों का संज्ञान लेते हुए पहले ही सभी सोशल मीडिया कंपनियों को भ्रामक सूचनाएं फैलाने वाली सामग्रियां हटाने के लिये कह चुका है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.