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Reuters/Vivek Prakash

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने अपनी पहली ही पॉलिसी में सुपर गवर्नर वाला काम कर दिखाया. उन्होंने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है जिसके बाद रेपो रेट 6.25 फीसदी हो गया है. दरें घटने का सीधा मतलब ये है कि बैंकों को आरबीआई से सस्ता कर्ज मिलेगा यानि आम आदमी के लिए भी कर्ज सस्ता हो जाएगा. शक्तिकांता दास ने दरें घटाने के साथ-साथ पॉलिसी का रुख भी न्यूट्रल कर दिया है और आगे के लिए भी अच्छे संकेत दिए हैं.

आरबीआई की ओर से रेपो रेट में कटौती का फायदा अब आम आदमी को भी मिलने वाला है. जल्द ही बैंक होम लोन के ब्याज दरों में कमी का ऐलान कर सकते हैं. होम लोन के ब्याज दर में कटौती से लोगों की EMI कम होगी. क्योंकि अब बैंकों को आरबीआई से सस्ती फंडिंग मिलेगी, जिसका सीधा असर बैंक लोन पर पड़ेगा. बैंक लोन सस्ता होने से आपकी EMI या लोन रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिलेगा.

जबकि रिवर्स रेपो रेट भी घटाकर 6.00 फीसदी कर दिया गया है. आरबीआई के गनर्वर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7.4 रहने का अनुमान है. जबकि उन्होंने बताया कि खुदरा महंगाई दर के जनवरी-मार्च में 2.4 फीसदी और अप्रैल-सितंबर में 3.2-3.4 फीसदी रहने का अनुमान है.

शक्तिकांत दास ने बताया कि आरबीआई ने किसानों के लिए कर्ज की सीमा बढ़ा दी है. बिना किसी गिरवी के किसानों के लिए कृषि कर्ज सीमा की 60,000 रुपये बढ़ा दी गई है. किसान अब बिना किसी गारंटी के 1.60 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं.

वहीं रेपो रेट में कटौती के साथ आरबीआई का कहना है कि बैंकों को जमा दरें संतुलित रखने की जरूरत है. एनबीएफसी में बैंकों के एक्सपोजर नियम बदले गए हैं, फरवरी अंत तक एनबीएफसी के लिए नए नियम जारी कर दिए जाएंगे.

बहरहाल, एमपीसी ने उम्मीद के मुताबिक नीतिगत रुख को 'नपी-तुली कठोरता' बरतने को बदल कर 'तटस्थ' कर दिया. इस बार विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई थी कि एमपीसी मौद्रिक स्थिति के संबंध में अपने मौजूदा 'सोच-विचार' वाले रुख को 'तटस्थ' कर सकती है क्योंकि मुद्रास्फीति दर नीचे बनी हुई है.

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ANI

5, 6 और 7 फरवरी को चली छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की. आरबीआई गवर्नर बनने के बाद यह उनका पहली एमपीसी बैठक थी. समिति ने कहा है कि ये फैसेल मीडियम टर्म में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई दर को 4 प्रतिशत (2 प्रतिशत कम-ज्यादा) तक रखने के लक्ष्य के मद्देनजर लिए गए हैं. खाद्य कीमतों में लगातार गिरावट के चलते खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2018 में 2.19 प्रतिशत रही जो 18 माह का निचला स्तर है.

बता दें कि यह चालू वित्त वर्ष की छठी और आखिरी मौद्रिक नीति समीक्षा है. आरबीआई ने पिछले तीन बार से अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को लेकर स्थिति पहले जैसी बरकरार रखी थी. उससे पहले चालू वित्त वर्ष की अन्य दो समीक्षाओं में प्रत्येक बार उसने दरों में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की थी.

दिसंबर 2018 में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में परिवर्तन नहीं किया था, लेकिन वादा किया था कि अगर मुद्रास्फीति का जोखिम नहीं हुआ तो वह दरों में कटौती करेगा.