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जापान के तट से दूर डायमंड प्रिंसेज जहाज पर मौजूद एक और भारतीय यात्री को कोरोनावायरस से संक्रमित पाया गया है। इसके साथ ही इस जहाज पर कोरोना पीड़ित भारतीयों को संख्या तीन हो गई है। यह जानकारी जापान में मौजूद भारतीय दूतावास ने दी। बता दें कि इस जहाज पर अब तक 218 लोग वायरस संक्रमित पाए गए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है और बाकी बचे 3,711 लोगों को जहाज पर अलग-थलग रखा गया है।

इस जहाज में कुल 138 भारतीय सवार हैं जिनमें 132 चालक दल के सदस्य और 6 पैसेंजर हैं। भारतीय दूतावास ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा, 'भारतीय नागरिकों सहित सभी 218 संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और अलग-थलग रखा गया है। दूतावास को मिली जानकारी के मुताबिक, जहाज में सवार किसी अन्य भारतीय में कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए हैं।'

उधर, जापान सरकार ने डायमंड प्रिंसेज में अलग केबिनों में रखे गए 80 साल और उससे अधिक उम्र के अस्वस्थ बुजुर्गों को जहाज से उतरने का मौका दे दिया। लेकिन केवल उन यात्रियों को ही यह मौका दिया गया है जो इस संक्रमण को लेकर निगेटिव पाए गए हैं। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि 11 लोग जहाज से चले गए लेकिन उन्होंने यह बताने से मना कर दिया कि शुक्रवार को और लोग जहाज से जाएंगे या नहीं ।

स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी गाकू हाशिमोटो शुक्रवार सुबह जहाज पर पहुंचे और उन्होंने घोषणा , 'जो यात्री सामान्य स्वास्थ्य को लेकर उच्च जोखिम में समझे जा रहे हैं, उनका अब इस वायरस को लेकर परीक्षण किया जाएगा। जो पॉजिटिव पाए जाएंगे उन्हें अस्पताल ले जाया जाएगा। जो निगेटिव पाए जाएंगे वे अपने अनुरोध पर उतर पाएंगे और उन्हें उनके अनुरोध पर सरकारी स्थान पर ठहराया जाएगा।'

दूसरी तरफ चीन के हुबेई प्रांत में कोरोना वायरस से 116 लोगों की मौत के साथ ही इस महामारी के कारण देश में मरने वालों की संख्या 1,483 पर पहुंच गई। स्वास्थ्य अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। प्रांतीय स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि गुरुवार को हुबेई में कोरोना वायरस के 4,823 नए मामले सामने आए।

शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि इनमें से 3,095 मामलों की नैदानिक पुष्टि हो चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रांत में कुल पुष्ट मामलों की संख्या 51,986 पर पहुंच गई और इसके साथ ही देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 64,627 हो गए।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.