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केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेकर वीजा नियमों का उल्लंघन करने वाले पांच विदेशी नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। गृह राज्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में लोकसभा में यह जानकारी दी।

निचले सदन में पी के कुन्हालीकुट्टी और उत्तर कुमार रेड्डी के प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, 'किसी कानून के विरूद्ध प्रदर्शनों से संबंधित केंद्रीयकृत आंकड़े नहीं रखे जाते हैं। आव्रजन ब्यूरो (बीओआई) द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, सीएए विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेकर वीजा नियमों का उल्लंघन करने वाले पांच विदेशी नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए कहा गया है।'

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार लोक व्यवस्था और पुलिस राज्य के विषय हैं। संबंधित राज्य सरकार, राज्य में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने एवं कानून तोड़ने वाले लोगों के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए उत्तरदायी है ।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों में कानून और व्यवस्था की स्थिति की निगरानी करती है और कानून एवं व्यवस्था की बड़ी समस्या पैदा होने की स्थिति में राज्य सरकारों के अनुरोध पर केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती करके राज्य सरकारों की सहायता करती है।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र को कहा, सीएए हमारा आतंकर‌िक मामला

वहीं, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने सीएए पर सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर की है। जिनेवा में भारत के स्थाई दूतावास को इसकी जानकारी दी है। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा कि सीएए भारत का आंतरिक मामला है और यह कानून बनाने वाली भारतीय संसद के संप्रभुता के अधिकार से संबंधित है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि, हमारा स्पष्ट रूप से यह मानना है कि भारत की संप्रभुता से जुड़े मुद्दों पर किसी विदेशी पक्ष का कोई अधिकार नहीं बनता है। साथ ही उन्होंने कहा कि सीएए संवैधानिक रूप से वैध है और संवैधानिक मूल्यों का अनुपालन करता है।

बता दें कि दिसंबर महीने में संसद के दोनों सदनों से पास होकर बना नागरिकता संशोधन कानून तीन पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर आने वाले हिंदू, सिख, क्रिश्चियन,जैन और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को भारतीय नागरिक बनने का हक देता है। इसके लिए जरूरी है कि ऐसे शरणार्थी 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आ चुके हों। लेकिन, कानून पारित होने के कुछ दिनों बाद से इसके खिलाफ जो बवाल शुरू हुआ वह अभी तक शांत नहीं पड़ा है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.