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Raghavendra N IBT

केंद्रीय कैबिनेट ने बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक के विलय को मंजूरी दे दी है. बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी. विलय के फलस्वरूप बनने वाली इकाई एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा.

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर में सुधार के तहत यह कदम उठाया गया है. देना बैंक और विजया बैंक के सारे कर्मजारी अब बैंक ऑफ बड़ौदा में आ जाएंगे. किसी के सर्विस में कोई बदलाव नहीं आएगा.

दूसरी तरफ, बैंक ऑफ बड़ौदा ने विजया बैंक और देना बैंक का खुद के साथ विलय के लिए शेयरों की अदला-बदली अनुपात को अंतिम रूप दे दिया है. विलय की योजना के मुताबिक, विजया बैंक के शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयरों के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 इक्विटी शेयर मिलेंगे.

वहीं देना बैंक के मामले में, उसके शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयर के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 110 शेयर मिलेंगे. सरकार ने पिछले साल सितंबर में विजय बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय की घोषणा की थी.

गौरतलब है कि सरकार बड़े स्तर पर सरकारी बैंकों के मर्जर की दिशा में काम कर रही है. सरकार का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत तक नई एंटिटी परिचालन में आ जाएगी. बीते साल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में उसके पांच सब्सिडियरी बैंकों का विलय कर दिया गया था.

बीते साल सितंबर की शुरुआत में वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुआई वाले 'अल्टरनेटिव मेकैनिज्म' (एएम) ने ग्लोबल साइज के लेंडर तैयार करने के लिए तीन बैंकों के मर्जर का फैसला किया था, जो ज्यादा मजबूत और टिकाऊ हों. वित्त मंत्री ने मर्जर के बाद बनने वाली एंटिटी को कैपिटल सपोर्ट देने का भरोसा भी दिलाया था. इस मेकैनिज्म में रेल मंत्री पीयूष गोयल और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी शामिल थीं.

गौरतलब है कि बैंक कर्मचारी संगठनों ने इस विलय का विरोध किया है. 26 दिसंबर 2018 को 10 लाख बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे. इससे पहले 21 दिसंबर को बैंक अधिकारियों ने भी हड़ताल की थी. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने दावा किया कि विलय बैंकों या उनके ग्राहकों के हित में नहीं, बल्कि दोनों के लिए हानिकारक होगा.