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कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को शनिवार 1 जून को कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी ने सीपीपी की बैठक में भाग लिया। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोनिया गांधी का नाम प्रस्तावित किया। लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश के बाद राहुल को संसदीय दल का नेता बनाए जाने की खबरें मीडिया में थी। हालांकि, इन सब अटकलों पर विराम लगाते हुए सोनिया गांधी को ही नेता चुना गया।

पार्टी अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद फैली अनिश्चितता के बीच, कांग्रेस ने संसद में कम से कम कांग्रेस नेता के रूप में पार्टी की अगुवाई करने की संभावना पर बहस की।

हालांकि, 17 वीं लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता को लेकर सस्पेंस जारी है। 16 वीं लोकसभा में, यह पद वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के पास था, जो इस बार लोकसभा चुनाव जीतने में असफल रहे।

आज की बैठक में पार्टी के राज्यसभा सांसदों के साथ कांग्रेस के सभी नवनिर्वाचित 52 सांसदों ने भाग लिया। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों ने कांग्रेस के सिर्फ 52 सांसद ही जीतने में सफल रहे हैं जो 2014 के आम चुनावों में 44 के आंकड़े से थोड़ा अधिक है। पार्टी के पास विपक्ष के नेता के पद के लिए आवश्यक आंकड़े से तीन सदस्य कम है।

कांग्रेस संसदीय दल की नेता चुनी जाने के बाद सोनिया गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं का आभार जताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पर विश्वास जतानेवाले 12.13 करोड़ मतदाताओं को भी शुक्रिया। राहुल गांधी ने भी बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस के हर कार्यकर्ता को यह याद रखना चाहिए कि हम संविधान को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारी लड़ाई देश के हर नागरिक के लिए है भले ही उसका रंग, जाति धर्म कुछ भी हो।'

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कांग्रेस संसदीय बोर्ड की मीटिंग में लोकसभा में पार्टी की क्या रणनीति होगी, इस पर भी चर्चा की गई। पार्टी के 52 नए सांसदों के साथ यह पहली बैठक है। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद राहुल गांधी पहली बार पार्टी की किसी बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। बंपर बहुमत के साथ बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई है और ऐसे वक्त में कांग्रेस के लिए सरकार को घेरने की रणनीति बहुत चुनौतीपूर्ण होगी।

इसके अलावा कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में अध्यक्ष राहुल गांधी ने नए चुने हुए सांसदों को संघर्ष का मंत्र दिया। कांग्रेस अध्यक्ष ने बैठक में पार्टी के कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि कांग्रेस से जुड़े हर व्यक्ति को याद रखना चाहिए कि यह लड़ाई संविधान को बचाने के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के 52 सांसद बीजेपी से इंच-इंच लड़ने के लिए काफी हैं। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी के सामने मोदी सरकार को घेरने के लिए रणनीति बनाने की मुश्किल लड़ाई है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने नए चुने हुए सांसदों को न्याय और संविधान के लिए संघर्ष की सीख दी। उन्होंने कहा, 'हम 52 सांसदों को मिलकर संघर्ष करना है। भले ही संख्या में हम 52 हों, लेकिन इसी संख्याबल से हम बीजेपी से इंच-इंच की लड़ाई करने में सक्षम हैं।' बता दें कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल ने पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद इस्तीफे की भी पेशकश की थी। कार्यसमिति में बैठक के बाद राहुल ने पहली बार पार्टी के किसी और कार्यक्रम में हिस्सा लिया और इसमें उन्होंने पार्टी के नए सांसदों को संघर्ष की सीख दी।

राहुल ने संविधान के लिए संघर्ष की नसीहत देते हुए, 'कांग्रेस पार्टी के हर कार्यकर्ता को यह याद रखना चाहिए कि हमारी लड़ाई संविधान के लिए है। हमारी लड़ाई हर व्यक्ति के लिए है भले ही उसका रंग, उसकी आस्था कुछ भी क्यों न हो। हमारा संघर्ष देश के प्रत्येक नागरिक के लिए है और यह लड़ाई जाति, धर्म, लिंग, रंगभेद से परे है।'