प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फाईल फोटो.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फाईल फोटो.रायटर्स

रमजान के पवित्र महीने के बीच प्रधानमंत्री पर एक बिल्कुल असंभव कोने से दुआओं की बरसात हुई. वायरल हुए एक वीडियो में, जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग क्षेत्र की रहने वाले तीन महिलाओं को पीएम मोदी के साथ बातचीत में व्यस्त देखा जा सकता है जो इस दौरान उनकी सफलता और 2019 के लोकसभा चुनावों में उनके दोबारा जीतने की दुआंए मांग रही हैं.

भारतीय जनता पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई के फेसबुक पेज द्वारा शेयर किये गए इस वीडियो में इन तीन महिलाओं को पीएम मोदी की उन योजनाओं की प्रशंसा करते हुए देखा जा सकता है जिनके चलते उनके रोजमर्रा के घरेलू काम आसान हो गए हैं.

यह तीनों महिलाएं दो वर्ष पूर्व शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की लाभार्थी बताई जा रही हैं जिसके तहत गरीबी रेखा (बीपीएल) से नीचे रहने वाले गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिया जाना सुनिश्चित किया गया.

इनमें से एक महिला ने पीएम मोदी को बताया कि उसके लिये विभिन्न प्रकार के खाने पकाने का काम बेहद आसान हो गया है, विशेषकर रमजान के पाक महीने में और उसने मोदी को उनकी इस पहल के लिये शुक्रिया भी कहा.

उन्होंने कहा, ''मैं आपका शुक्रिया अदा करती हूं और मैं आपकी सरकार से बहुत खुश हूं. मैं अल्लाह से आपकी सफलता और आपकी सरकार की वापसी के लिये दुआ करूंगी.''

उन्होंने पीएम को बताया कि वे इस पाक महीने में रोज सुबह कुरान पढ़ती हैं और मोदी की सफलता की दुआ मांगती हैं.

इसके बदले में प्रधानमंत्री ने इन महिलाओं का धन्यवाद किया और कहा कि यह उनके लिये खुशी की बात है कि उनके दैनिक कार्य अब आसान हो गए हैं.

यह वायरल वीडियो अब सोशल मीडिया पर बहस का विषय बनता जा रहा है विशेषकर इसलिये क्योंकि इसमें कश्मीर के अशांत अनंतनाग जिले की महिलाएं शामिल हैं.

हालांकि केंद्र की पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री के अनुरोध के बाद रमजान के पाक महीने में युद्धविराम की घोषणा कर दी, इसके बावजूद इस अशांत क्षेत्र में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ जारी हैं.

23 अक्टूबर, 2012 को कश्मीरी मुस्लिम महिलाएं श्रीनगर में एक धार्मिक आयोजन के दौरान सूफी संत, मीर सैयद अली हमदानी की मजार की दीवार को छूकर प्रार्थना करते हुए. (सांकेतिक तस्वीर)
23 अक्टूबर, 2012 को कश्मीरी मुस्लिम महिलाएं श्रीनगर में एक धार्मिक आयोजन के दौरान सूफी संत, मीर सैयद अली हमदानी की मजार की दीवार को छूकर प्रार्थना करते हुए. (सांकेतिक तस्वीर)रायटर्स

वर्ष 2016 में इस अनंतनाम जिले में ही कश्मीर घाटी के आतंक के पोस्टर बाॅय बुरहान वानी को मुठभेड़ में ढेर किया गया था जिसके बाद घाटी में आतंकवाद के एक बिल्कुल नए अध्याय का जन्म हुआ और बड़ी संख्या में युवाओं के हथियार उठाने के चलते दक्षिण कश्मीर सबसे हिंसक क्षेत्रों में से एक बन गया.

संयोग से अनंतनाम सीएम मुफ्ती का गृहक्षेत्र भी है और यहां पर बीते लोकसभा और विधानसभा चुनावों में औसत मतदान ही देखने को मिलता आया है.

कश्मीर के शोपियां जिले के एक सरकारी स्कूल के अध्यापक हबीबुल्ला मलिक ने इंटरनेश्नल बिजनेस टाईम्स, इंडिया को बताया, ''यहां पर ऐसे भी लोग हैं जो मुफ्ती और अब्दुल्ला जैसे मुख्यधारा के राजनेताओं का समर्थन करते हैं वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो आतंकियों के साथ चल रही मुठभेड़ों के दौरान पुलिस और सैन्य बलों पर पत्थर फेंकते हैं. इस क्षेत्र के कई शिक्षित युवाओं ने बीते कई वर्षों के अलगाव के दौर के चलते हथियार भी उठा लिये हैं.''

हालांकि निरंतर होने वाले हमलों और बंद के घाटी की अर्थव्यवस्था खासी प्रभावित हुई है जिसके चलते विभिन्न आय वर्ग के लोग गरीबी में जीवन यापन करने को मजबूर हैं.

कश्मीर के पुलवामा जिले के सेव व्यापारी मोहम्मद अशरफ ने बताया, ''यहां और कश्मीर के कई दूसरे शहरों में कई लोग छोटे व्यवसायों में लगे हैं. लगातार होने वाले बंद के चलते हमारे व्यापार पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और हम इस पाक महीने के दौरान भी अपने परिवार का पेट ठीक से नहीं भर पा रहे हैं.''