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बेंगलुरु के पूर्व पुलिस आयुक्त आलोक कुमार के आवास पर सीबीआई की तलाशी जारी है। कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन की सरकार के कार्यकाल में नेताओं और नौकरशाहों के फोन टैपिंग के मामले में कुमार के घर पर छापेमारी हो रही है। बीएस येदियुरप्पा नीत सरकार ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।

फोन टैपिंग विवाद तब सामने आया जब एक कथित फोन पर उस बातचीत को मीडिया में लीक कर दिया गया जिसमें एक आईपीएस अधिकारी का नाम था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और जद (एस) के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री एचडी रेवन्ना के नाम भी लीक फोन टेप में पाए गए थे।

दरअसल जद(एस) के अयोग्य ठहराए गए विधायक ए एच विश्वनाथ ने एच डी कुमारस्वामी सरकार पर आरोप लगाया था कि उन्होंने 300 से ज्यादा लोगों की फोन पर हुई बातचीत टैप की और जासूसी की। वह जद(एस) के अध्यक्ष रह चुके हैँ और अब बागी हैं।

अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने इस मामले की जांच के लिए बेंगलुरु पुलिस के साइबर क्राइम शाखा से मामले को अपने हाथों में लेकर अगस्त में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

बेंगलुरु के पूर्व पुलिस आयुक्त आलोक कुमार
बेंगलुरु के पूर्व पुलिस आयुक्त आलोक कुमारTwitter

पत्र में कहा गया है, ''सरकार के संज्ञान में यह आया है कि ऐसी शंकाएं हैं कि सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टी के कई नेताओं, उनके सगे-संबंधियों और अधिकारियों के फोन अवैध तरीके से टैप किए गए थे।''

पूर्व पुलिस कमिश्नर आलोक इस समय कर्नाटक रिजर्व पुलिस के एडीजीपी पद पर तैनात हैं। मालूम हो कि कर्नाटक की पूर्व एचडी कुमारस्वामी सरकार पर कई विधायकों द्वारा यह आरोप लगाया गया था कि मुख्यमंत्री और जेडीएस के नेता अपने सहयोगियों के फोन टैप कर रहे थे। यह फोन टैपिंग विवाद चुनाव के दौरान तब सामने आया जब एक कथित फोन पर उस बातचीत को मीडिया में लीक कर दिया गया, जिसमें एक आईपीएस अधिकारी का नाम था।

हालंकि कुमारस्वामी ने इन आरोपों से अपना पल्ला झाड़ लिया है। उन्होंने कहा कि वह हर तरह की जांच के लिए तैयार है। राज्य की भाजपा सरकार बदले की भावना से काम कर रही है।

कुमार ने गत माह येद्दियुरप्पा सरकार की ओर से पुलिस आयुक्त पद से हटाये जाने के बाद केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) को इसके खिलाफ आवेदन दिया था, लेकिन अचानक ही उन्होंने 16 अगस्त को अपना आवेदन वापस ले लिया था।

कुमार ने महज 47 दिनों तक ही पुलिस आयुक्त के रूप में कार्य किया था। सूबे में सरकार बदलने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सत्ता में वापसी के बाद अचानक ही उनका तबादला कर दिया गया था और उनके उनके स्थान पर भास्कर राव को नये पुलिस आयुक्त बनाया गया।

इस संबंध में दायर याचिका को स्वीकार करते हुए, कैट ने राज्य सरकार और पुलिस आयुक्त भास्कर राव को नोटिस जारी कर उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।