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सांकेतिक तस्वीरReuters

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप द्वारा बीते साल नवंबर में ईरान पर पाबंदी लगाने के बाद अमेरिका द्वारा भारत को होने वाले कच्चे तेल के आयात में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है और यह आंकड़ा मध्यपूर्व देशों से होने वाले कच्चे तेल के आयात को पार कर गया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। वॉशिंगटन ने बीते साल ईरान पर दोबारा पाबंदी लगा दी थी, हालांकि भारत सहित कुछ देशों को तेहरान से सीमित मात्रा में तेल खरीदने के लिए प्रतिबंधों से छह महीने की छूट दी थी, जो इस साल मई में समाप्त हो गया।

शिपिंग और उद्योग स्रोतों से मिले टैंकर डेटा के मुताबिक, दुनिया में तेल के तीसरे सबसे बड़े आयातक देश भारत ने नवंबर 2018 से लेकर मई 2019 के बीच रोजाना लगभग 1,84,000 बैरल तेल खरीदा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा रोजाना लगभग 40,000 बैरल था। आंकड़ों के मुताबिक, आलोच्य अवधि में भारत ने तेहरान से 48% कम तेल खरीदा और यह लगभग 2,75,000 बैरल प्रतिदिन रहा। मई तक भारत ईरानी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार था।

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने इस महीने की शुरुआत में कहा कि वेनेजुएला तथा ईरान जैसे अस्थिर देशों से तेल आयात पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को वॉशिंगटन से तेल और गैस का आयात बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।

अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए पहले दौर की पाबंदी में सऊदी अरब और इराक को एशियाई बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिली थी। उस समय भारत ने ईरान से होने वाले आयात की भरपाई वेनेजुएला से तेल आयात करके की थी। लेकिन अब बाजार का स्वरूप बदल चुका है और अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश बन गया है।

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एनर्जी कंसल्टेंसी एफजीई में एशिया ऑइल की निदेशक श्री पारावैक्करासु ने कहा, 'वेनेजुएला का तेल का उत्पादन अब घट रहा है। सऊदी ग्रेड महंगा है और ईराक के पास अतिरिक्त तेल बेचने की क्षमता सीमित है। इसलिए भारतीय तेल शोधक कंपनियां अमेरिकी तेल से अपना पैर पीछे नहीं खींच सकती हैं।'उन्होंने कहा कि मध्यपूर्व देशों के तेल के उच्च ऑफिशियल सेलिंग प्राइस (ओएसपी) और स्पॉट प्रीमियम में बढ़ोतरी से भारत को अमेरिकी तेल खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ईरान के तेल खरीदारों को मई से प्रतिबंधों से कोई छूट नहीं देने का फैसला किया था। वाइट हाउस ने कहा, 'बाजार को ईरानी तेल की आपूर्ति बंद होने की सूरत में अमेरिका, सऊदी अरब तथा संयुक्त अरब अमीरात ने वैश्विक मांग पूरी करने को लेकर समय पर कदम उठाने की सहमति जताई है।'

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है। यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है।