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ANI

केंद्र में सत्तारुढ़ बीजेपी सरकार की तरफ से एससी/एसटी ऐक्ट में किए गए संशोधन के विरोध में सवर्ण संगठनों की तरफ से गुरुवार को बुलाए गए भारत बंद का असर देखने को मिल रहा है.

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में बंद का समर्थन करते हुए व्यापारी वर्ग ने भी सभी दुकानों पर ताले जड़ दिये हैं. वहीं भोपाल में भी मंडी से लेकर सभी पेट्रोल पंप 4 बजे तक के लिए बंद रखे गए हैं. इसके अलावा जबलपुर संभाग में भी बंद का व्यापक असर देखने को मिल रहा है. इसके साथ ही उज्जैन में भी सभी जगह बंद का असर है. ग्वालियर में सर्विलांस के ड्रोन से रखी जा रही नजर.

बिहार में भी बंद को पूरा समर्थन मिल रहा है. पटना में प्रदर्शनकारी ट्रेन की पटरी पर जा बैठे हैं, जिससे बिहार में ट्रेन सेवाएं पूरी तरह से अवरुद्ध हो गई हैं. वहीं नालंदा में जगह-जगह पर प्रदर्शनकारी उग्र प्रदर्शन पर उतर आए हैं.. नालंदा के कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर आगजनी कर सड़क सेवाएं भी अवरुद्ध कर रखी है. बंद के आह्वान के बाद से ही बिहार में व्यापारी वर्ग सहित छोटे कारोबारियों ने भी इसका पूरा समर्थन किया है. बिहार के दरभंगा, मुंगेर और छपरा में प्रदर्शनकारी ट्रेन की पटरियों पर बैठकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं छत्तीसगढ़ में भारत बंद का कोई असर देखने नहीं मिला. राज्य के सभी जिलों में सेवाएं बिना किसी अवरोध के जारी हैं.

महाराष्ट्र में भी सपाक्स द्वारा बंद के आह्वान को पूरा समर्थन मिला है. ठाणे में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं और एससी-एसटी एक्ट का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. महाराष्ट्र में दुकानों से लेकर पेट्रोल पंप बंद हैं. बंद का असर देखते हुए स्कूलों 5 सितंबर को ही स्कूलों की छुट्टी का ऐलान कर दिया गया था. महाराष्ट्र के कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर जाम लगा दिया है. वहीं इंटेलिजेंस के मुताबिक कुछ असामाजिक तत्व भीमा-कोरेगांव जैसे दंगे भड़काने की कोशिश में लगे हैं, जिसके चलते महाराष्ट्र के संदिग्ध इलाकों में ड्रोन्स की मदद से नजर रखी जा रही है.

उत्तरप्रदेश में भी भारत बंद को सवर्ण समाज का पूरा समर्थन मिल रहा है. उत्तर प्रदेश के वाराणसी, लखनऊ, इलाहाबाद में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदेश के कई बड़े शहरों में सुबह से ही दुकानों से लेकर मेडिकल स्टोर तक में ताले लगे हुए हैं. वहीं प्रदेश के इन हिस्सों में आगजनी और हिंसा के भी इनपुट हैं. ऐसे में संदिग्ध इलाकों पर नजर रखने के लिए पुलिस बल की तैनाती के साथ ही सीसीटीवी कैमरों की भी मदद ली जा रही है.

दरअसल ये पूरा विवाद उस एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर है, जिसमें मोदी सरकार ने संशोधन करते हुए सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था. एससी-एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18A को जोड़ते हुए पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा. इस तरीके से सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए सभी प्रावधान रद्द हो जाएंगे.

अब सरकार द्वारा किए गए संशोधन के बाद इस मामले में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है. इसके अलावा आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिलेगी, बल्कि हाई कोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकेगी. अब जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा और मामले की जांच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी करेंगे. एससी-एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी. इसके साथ ही सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत भी नहीं लेनी होगी.