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Reuters

गोवा में मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की खराब सेहत के बीच कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाने का दावा किया है. पार्टी ने अपने 14 विधायकों के साथ राज भवन में सरकार बनाने के लिए एक पत्र सौंपा. हालांकि कांग्रेस विधायकों और राज्यपाल के बीच कोई मीटिंग नहीं हो पाई है. आपको बता दें कि राज्य में पार्टी के कुल 16 विधायक हैं. कांग्रेस मनोहर पर्रिकर की बीमारी को एक मौके की तरह देख रही है.

आपको बता दें कि लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे मनोहर पर्रिकर को इलाज के लिए दिल्ली लाया गया है. पहले अटकलें लगाई जा रही थीं कि बीजेपी राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर सकती है. हालांकि पार्टी ने इन अटकलों को खारिज कर दिया है. पार्टी ने दावा किया कि राजधानी दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ठीक हैं.

कांग्रेस के 14 विधायकों ने राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया. हालांकि राज्यपाल से मुलाकात नहीं हो सकी और सरकार बनाने के दावे वाले पत्र को छोड़कर वे वापस लौट आए. सूबे में कांग्रेस के कुल 16 विधायक हैं. कांग्रेस का कहना है कि उसके पास एक एनसीपी विधायक समेत 17 विधायकों का समर्थन है. सूत्रों के मुताबिक सूबे की गवर्नर मृदुला सिन्हा राजभवन में मौजूद नहीं थीं.

एक दिन पहले ही गोवा बीजेपी अध्यक्ष विनय तेंदुलकर ने कहा कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का कोई सवाल नहीं है क्योंकि पर्रिकर ''ठीक'' हैं. उन्होंने कहा, ''आज केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ बैठक के दौरान हमने संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा की. नेतृत्व का कोई मुद्दा नहीं है.'' पर्रिकर को अग्नाशय संबंधी बीमारी के इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराया गया है.

आईआईटी इंजीनियर से राजनेता बने 62 वर्षीय पर्रिकर दो क्षेत्रीय सहयोगियों गोवा फारवर्ड पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी तथा तीन निर्दलीयों के सहयोग से गोवा में सरकार चला रहे हैं. यह उल्लेख करने पर कि गोवा फारवर्ड पार्टी ने पर्रिकर की अस्वस्थता के मद्देनजर उत्पन्न स्थिति का एक ''स्थायी हल'' निकालने के लिए कहा है, तेंदुलकर ने कहा कि नेता बदलने की कोई जरूरत नहीं है.

40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में बीजेपी के पास फिलहाल 14 विधायक हैं. इसके अलावा उसे महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (एमजीपी) के 3, गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के 3 और 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है. वहीं, कांग्रेस और एनसीपी के पास 17 विधायक हैं. राज्य में जिस तरह के समीकरण है, उसे देखते हुए दोनों पार्टियों (एमजीपी व जीएफपी) और निर्दलीय विधायक का रोल काफी अहम माना जा रहा है.