रतन टाटा और सायरस मिस्त्री की फाइल फोटो.
रतन टाटा और सायरस मिस्त्री की फाइल फोटो.Reuters File

टाटा संस के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) से बड़ा झटका लगा है. ट्रिब्यूनल ने टाटा संस के पक्ष में फैसला देते हुए मिस्त्री की याचिका को खारिज कर दिया जिसमे उन्होंने खुद को चेयरमैन पद से हटाए जाने के निर्णय को चुनौती दी थी. यह विवाद करीब 18 महीने से चल रहा था, जिस पर फैसला आने के बाद इस पर पूरी तरह से पर्दा डल गया है. सायरस मिस्त्री पर कंपनी से जुडी गोपनीय जानकारी लीक करने का आरोप था.

टाटा-मिस्त्री विवाद पर अपना फैसला सुनाते हुए एनसीएलटी ने कहा कि टाटा बोर्ड के पास चेयरमैन को हटाने का अधिकार है और टाटा ग्रुप मैनेजमेंट में कोई भी गड़बड़ी नहीं है. साथ ही ट्रिब्यूनल ने रतन टाटा पर लगे सभी आरोपों को भी खारिज कर दिया है.

गौरतलब है कि कि मिस्त्री परिवार की टाटा संस में 18 फीसद की हिस्सेदारी है, जो कि टाटा ग्रुप के स्वामित्व वाली कंपनी है. मिस्त्री ने रतन टाटा के रिटायरमेंट की घोषणा के बाद साल 2012 में चेयरमैन पद की कमान संभाली थी.

टाटा संस ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के समक्ष कहा था कि बोर्ड का सायरस मिस्त्री पर भरोसा खत्म हो जाने के कारण उन्हें चेयरमैन के पद से हटाया गया था. टाटा संस के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि मिस्त्री को सिर्फ इस वजह से हटाया गया क्योंकि बोर्ड का उन पर भरोसा खत्म हो गया था और यह पूरी तरह से वाणिज्यिक फैसला था.