सांकेतिक तस्वीर

सांख्यिकी संबंधी मामलों में सलाह देने वाली देश की शीर्ष संस्था राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के दो स्वतंत्र सदस्यों पी सी मोहनन और जे वी मीनाक्षी ने सरकार के साथ कुछ मुद्दों पर असहमति होने के चलते इस्तीफा दे दिया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, मोहनन आयोग के कार्यकारी चेयरपर्सन भी थे। दो सदस्यों के छोड़ने के बाद अब आयोग में केवल दो सदस्य- मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत बचे हैं।

मोहनन ने पीटीआई से बताया, 'मैंने एनएससी से इस्तीफा दे दिया है। हमें लग रहा है कि आजकल आयोग बहुत प्रभावी नहीं रहा है।'

अधिकारी ने कहा, 'दो सदस्यों ने राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग आयोग से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 28 जनवरी 2019 को इस्तीफा दिया।' सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन आने वाले आयोग में सात सदस्य होते हैं। वेबसाइट के मुताबिक, तीन पद पहले से ही रिक्त हैं।

सदस्य होने के साथ-साथ पीसी मोहनन इस आयोग के एक्टिंग चेयरमैन भी थे। उन्होंने कहा कि नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के पास मौजूद बेरोजगारी के आंकड़ों को जारी नहीं करने दिया जा रहा था, जिसकी वजह से वह इस्तीफा देने को मजबूर हुए। उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों को दिसंबर 2018 में जारी करना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अभी तक इसकी जानकारी वेबसाइट पर भी नहीं दी गई है।

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पीसी मोहनन ने दावा किया कि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने अपील की थी कि आंकड़ों को जनवरी में ही सभी के सामने जारी रख दिया जाए। गौरतलब है कि रोजगार का मुद्दा बीते काफी समय से चर्चा में है, विपक्षी पार्टियां इसी बहाने नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने में जुटी हैं। हालांकि, इन आंकड़ों पर पीसी मोहनन ने किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार किया।

पिछले साल नवंबर में जारी जीडीपी की बैक सीरीज में आंकड़ों को नई मेथडलॉजी के जरिए फिस्कल ईयर 2012 के बेस ईयर के साथ एडजस्ट किया गया है। इसमें यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान फिस्कल ईयर 2011 में हासिल जीडीपी ग्रोथ को 10.3% से घटाकर 8.5% कर दिया गया है। नई सीरीज में इस बात को रेखांकित किया गया है सर्विसेज सेक्टर के योगदान को पहले बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया था जिसे अब संशोधित किया गया है। मामले के जानकार सूत्रों ने कहा कि सरकार जिस तरह कमीशन के साथ जैसा व्यवहार कर रही थी, उससे एनएससी के मेंबर्स खुश नहीं थे।

दूसरा मुद्दा यह है कि हर पांच साल पर होनेवाले NSSO के 2016-17 वाले सर्वे को सरकार जारी नहीं कर रही है, जबकि आयोग इस रिपोर्ट को जारी करने की मंजूरी पहले ही दे चुकी है। रोजगार सृजन के मोर्चे पर फेल होने के चलते हो रही सरकार की आलोचना को देखते हुए यह रिपोर्ट काफी अहम हो जाती है।

मामले पर विवाद बढ़ता देख सरकार ने दोनों अधिकारियों को बात करने के लिए बुलाया है। केंद्रीय मंत्री विजय गोयल का कहना है कि इसमें कुछ भी चिंता वाली बात नहीं है। सरकार हर बार पांच साल का NSSO डाटा जारी करती है लेकिन आयोग के पास सिर्फ एक साल के ही आंकड़े उपलब्ध हैं। इसलिए सरकार का मानना है कि उससे सही आंकड़े सामने नहीं आ पाएंगे।

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के दो सदस्यों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि 'इस संस्था की आत्मा को शांति मिले, जब तक कि इसका दोबारा जन्म ना हो जाए।'

पूर्व वित्त मंत्री ने ट्वीट कर कहा, 'हम राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की मौत का शोक मनाते हैं। साफ-सुथरे जीडीपी डेटा और रोजगार डेटा को रिलीज करने के लिए इसकी साहसिक लड़ाई को आभार के साथ याद करते हैं।'