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आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर 'एक एनजीओ द्वारा सघन नदी पुनरुत्थान का कार्य' के माध्यम से लिम्का बुक ऑफ रिकाॅर्ड 2019 में दर्ज हुये, जिसमें देश में जल संकट से गुजरते हुये क्षेत्र की 40 नदियां और उनके उपधाराओं के पुनरुत्थान कर के भूमिगत जलस्तर को उठाया और 5000 गांवों के लगभग 49.9 लाख लोगों को लाभान्वित किया।

लिम्का बुक आफ इंडिया में कहा गया, ' जनवरी 2013 में आर्ट ऑफ लिविंग एक गैर सरकारी संस्था ने चार राज्यों (कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और ओडिशा) में 40 नदियां और उनकी उपधाराओं और 9 नदियों के मुहाने की 26 झीलों और तालाबोंके सतह को साफ करने का प्रोजक्ट आरंभ किया। इस प्रोजक्ट से 5055 गांवों को लाभ मिलेगा और इस से 4,993,840 लोग प्रभावित होंगे।'

पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक प्रभाव से युक्त आर्ट ऑफ लिविंग के इस नदियों के पुनरुत्थान प्रोजक्ट में स्थायीत्व और विभिन्न समुदायों को एक ही उद्देश्य के लिये एकत्रित कर के जल संकट से निकलने में सहायता दी।

श्वेता सिंघल, सतारा की जिलाधीश ने बताया, ''आर्ट आफ लिविंग ने जो भी किया उस से कलह समाप्त हुआ, लोग एक साथ मिलकर इस प्रोजक्ट मं काम करने लगे। आर्ट आफ लिविंग ने सतारा गांवा में अत्यधिक कार्य किया और इस गांव के लोग जो पानी के टेंकर पर निर्भर थे अब वे इस से मुक्त हो गये।''

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इस प्रकार तीसरी पार्टी के कार्य के परिणाम स्वरुप, जहां पर आर्ट ऑफ लिविंग ने कार्य किया वहां पर भूमिगत जल स्तर 20 प्रतिशत ऊपर है, उसकी तुलना में जहां पर इस संस्था ने कार्य नहीं किया। भूमिगत जल के स्तर को ऊपर उठाने के इस कार्य का प्रभाव ऐसा रहा कि भीषण गर्मी में भी पानी की उपलब्धता बनी रही।

''गत 8 वर्षाें से यहां पर पानी नहीं था।'' कैलाशपुर गांव के किसान दयानंद ने बताया, ''खेती बस वर्षा पर ही निर्भर थी इसीलिये एक वर्ष में एक ही फसल होती थी। लेकिन अब तो पानी वर्ष भर उपलब्ध है और हम 3 फसल उगा सकते हैं। पहले मेरी आमदनी 30000 से 40000 थी लेकिन अब 3 लाख से ऊपर है। मैं और मेरा परिवार प्रसन्न है।''

यह प्रोजक्ट एक दार्शनिक सिद्धांत पर था, एक में परिवर्तन लाने से सामाजिक परिवर्तन हो सकता है। आर्ट ऑफ लिविंग ने एक नोडल एजेंसी के रुप में कार्य किया और उसने कई स्थानीय समुदाय, काॅर्पोरेशन और सरकार से सहयोग प्राप्त करके एक विशाल कार्य को संपादित किया। सबसे पहले जिओलाॅजिकल वैज्ञानिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस क्षेत्र का जिओहाइड्रोलाॅजिकल सर्वे किया। इसके बाद सामुदायिक कार्यक्रमों और आर्ट आफ लिविंग के स्वयंसेवकों और लगभग 5000 स्थानीय लोगों ने भूमिगत जल के रिचार्ज का निर्माण किया और कचरे को बाहर किया। लंबे समय तक लाभ लेने के लिये वहां वन लगाने और कृषि को जलवायु के आधार पर किसानों को प्रशिक्षित करने के कार्य करने होंगे।