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सरकारी अधिकारियों ने राज्यसभा के एक पैनल को बताया है कि व्हाट्सएप और सिग्नल जैसे प्लेटफार्म एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का हवाला देते हुए कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ सहयोग नहीं करते हैं और यहां तक कि कानून के तहत किए गए अनुरोध का सम्मान भी नहीं करते हैं।

एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का अर्थ है कि संदेश तक सिर्फ भेजने वाले और पाने वाले की पहुंच होती है। कोई और इस बारे में नहीं जान सकता। राज्यसभा का पैनल सोशल मीडिया पर पोर्नोग्राफी के मुद्दे और बच्चों पर इसके प्रभावों की पड़ताल कर रहा है।

इस महीने की शुरुआत में राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सोशल मीडिया पर पोर्नोग्राफी और बच्चों तथा समाज पर इसके प्रभाव के "खतरनाक मुद्दे" पर एक तदर्थ समिति का गठन किया था। इस पैनल में 10 राजनीतिक दलों के 14 सदस्य शामिल हैं और इसकी कई बैठकें हो चुकी हैं। इसने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, दूरसंचार नियामक ट्राई और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से इस बारे में चर्चा की है।

पैनल के समक्ष मंत्रालय ने एक टिप्पणी में कहा कि उन्हें पोर्नोग्राफी के मुद्दे पर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और "जब सूचना या जांच की बात कही जाती है तो (वे) दावा करते हैं कि वे मेजबान देश के कानून से संचालित हैं।"

इस समिति की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद जयराम रमेश कर रहे हैं और उम्मीद है कि समिति अगले महीने एक रिपोर्ट सौंप देगी। समूह के सदस्यों में अमर पटनायक, अमी याज्ञिक, डोला सेन, जया बच्चन, कहकशां परवीन, राजीव चंद्रशेखर, एम वी राजीव गौड़ा, रूपा गांगुली, संजय सिंह, तिरुचि शिवा, वंदना चव्हाण, विजिला सत्यनाथ और विनय पी सहस्त्रबुद्धे शामिल हैं।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.