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उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के एक प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी. इसी के साथ ही राज्य में नाम बदलने की राजनीति में एक और नया अध्याय जुड़ गया है. कुछ दिन पहले ही संतों के द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इसका प्रस्ताव दिया गया था. जिसके बाद यूपी सीएम ने खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान किया था.

शहर का नाम बदलने के साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का नाम भी बदल जाएगा. गौरतलब है कि अगले साल होने वाले कुंभ से पहले इलाहाबाद चर्चा का केंद्र बना हुआ है. योगी सरकार कुंभ को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारी कर रही है, शहर में जीर्णोद्धार का काम युद्ध स्तर पर जारी है.

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा था कि 2019 में आयोजित होने वाले कुंभ मेला से पहले शहर का नाम बदलकर प्रयागराज करने का एक प्रस्ताव है. इसके पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इलाहाबाद का नाम बदलने के योगी सरकार के प्रयास की आलोचना की. उन्होंने कहा कि योगी सरकार केवल 'नाम बदलकर' अपने कार्यों का ढिंढोरा पीटना चाहती है.

दरअसल, पुराणों में इलाहाबाद का नाम प्रयागराज ही था. लेकिन अकबर के शासनकाल में इसे बदलकर इलाहाबाद कर दिया गया था. इतिहासकार बताते हैं कि अकबरनामा और आईने अकबरी व अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से ज्ञात होता है कि अकबर ने सन 1574 के आसपास प्रयागराज में किले की नींव रखी थी.

गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर मे योगी सरकार ने मुगलशराय रेलेव स्टेशन का नाम बदलकर दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) स्टेशन कर दिया था. योगी सरकार के इस पहल का भी विपक्ष ने विरोध किया था.