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चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में बढ़ती महंगाई का असर साफ तौर पर देखा गया और आरबीआई ने लगातार दूसरी बार नीतिगत दरों में इजाफा किया है. केंद्रीय बैंक ने अब रेपो रेट को 6.25 फीसद से बढ़ाकर 6.50 फीसद और रिवर्स रेपो को 6 फीसद से बढ़ाकर 6.25 फीसद कर दिया है. इस बैठक में नीतिगत दरों बढ़ाने का फैसला 5:1 के आधार पर लिया गया. आरबीआई की अगली बैठक 3 से 5 अक्टूबर को होगी.

गौरतलब है कि आरबीआई ने अपनी पिछली समीक्षा बैठक में भी रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसद का इजाफा किया था. यानी बीती दो बैठकों में आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में कुल 0.50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया गया है.

पिछले दो महीनों में खुदरा और थोक महंगाई काफी बढ़ गई है. इसके अलावा पेट्रोल और डीजल के दाम भी लगातार बढ़ते गए, क्योंकि रुपया लगातार कमजोर होता गया. ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें इस साल लगभग 20 फीसदी बढ़ चुकी है और मई के दौरान क्रूड ऑयल 80 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से ऊपर चला गया.

इसके साथ ही मानसून भी बीच के महीनों में कमजोर हो गया था, लेकिन अब कई हिस्सों में बहुत ही भारी बारिश हो रही है और अबतक पूरे देश में सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश हुई है. अगस्त में मानसून की चाल कमजोर रहेगी। वहीं, पूरे सीजन के लिए मानसून का अनुमान घटाकर सामान्य से 92 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.

रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं. जब भी बैंकों के पास कोष की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक से पैसे लेते हैं. रिजर्व बैंक की तरफ से दिया जाने वाला यह कर्ज जिस दर पर मिलता है, वही रेपो रेट कहलाता है.

इसे हमेशा से रिजर्व बैंक ही तय करता है. रेपो रेट में कटौती या बढ़ोतरी करने का फैसला मौजूदा और भविष्य में अर्थव्यवस्था के संभावित हालात के आधार पर लिया जाता है.