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सुप्रीम कोर्ट ने आधार की अनिवार्यता को लेकर बड़ा फैसला दिया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कुछ शर्तों के साथ आधार को वैध किया है. आधार की संवैधानिकता कुछ बदलावों के साथ बरकरार रखी गई है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि सर्वश्रेष्ठ होने के मुकाबले अनोखा होना बेहतर है. न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और अपनी ओर से फैसला सुनाते हुये कहा कि आधार के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के आरोप संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन पर आधारित हैं, जिनके कारण राष्ट्र शासकीय निगरानी वाले राज्य में बदल जाएगा.

धारा एक्ट के सेक्शन 33(2) को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है जिससे डेटा शेयरिंग पर रोक लग जाएगी. इसके अलावा सेक्शन 57 पर भी रोक लगा दी गई है. सेक्शन 57 के तहत सरकार और प्राइवेट कंपनियों को आधार का डेटा मांगने का अधिकार दिया गया है.

हालांकि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आधार से निजता हनन के सुबूत नहीं मिले हैं. वहीं शीर्ष अदालत ने अवैध प्रवासियों को आधार सुविधा ने देने को कहा है. यूं तो कोर्ट ने स्कूलों, बैंक खाते, मोबाइल सिम आदि के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता खारिज कर दी है, मगर कुछ स्थानों पर आधार कार्ड की अनिवार्यता जारी रहेगी.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 38 दिनों तक चली लंबी सुनवाई के बाद 10 मई को मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तास्वामी की याचिका सहित कुल 31 याचिकाएं दायर की गयी थीं. दरअसल, केंद्र ने आधार योजना का बचाव किया था कि जिनके पास आधार नहीं है उन्हें किसी भी लाभ से बाहर नहीं रखा जाएगा.

जहां आधार जरूरी रखा गया है उनमे सबसे प्रमुख है सरकारी कल्याणकारी योजनाओं में आधार कार्ड की अनिवार्यता. सभी सामाजिक कल्याण की प्रमुख लाभार्थीपरक योजनाओं में आधार कार्ड जरूरी होगा. सरकार ने योजनाओं में फर्जीवाड़ा और सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए योजनाओं में आधार कार्ड की अनिवार्यता की मांग की थी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने आधार को पैन नंबर से भी जोड़ने की व्यवस्था बरकरार रखी है.

बता दें कि पहले रिजर्व बैंक ने बैंक खातों को आधार कार्ड से लिंक करने का निर्देश दिया था. तर्क दिया था कि इससे मनी लॉन्ड्रिंग पर नकेल कसने में मदद मिलेगी. जिसके बाद बैंक खाता खोलने के समय जहां बैंकों ने आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया था, वहीं पुराने खातों को भी लिंक कराने की व्यव्स्था थी. मगर सुप्रीम कोर्ट ने बैंक खातों को आधार कार्ड से जोड़ने की व्यवस्था खारिज कर दी है.

आधार की सिक्योरिटी और डेटा प्रोटेक्शन को लेकर हमेशा सवाल उठता है. सरकार का दलील है कि आधार के जरिए कई कामों में सुविधा हुई है. फिलहाल UIDAI देश में आधार कार्ड जारी करता है. इसमें लोगों के बायोमेट्रिक, आइरिश और फोटो की जानकारी ली जाती है और यह डेटा UIDAI के सर्वर में सुरक्षित रहता है जिसे भेद पाना बहुत मुश्किल है.

आइए जानते हैं वह कौन सी 5 बातें थी जो आधार के पक्ष में गईं:

  1. गरीबों को मिलती है ताकत: कई केंद्रीय योजनाओं को आधार से जोड़ा गया है. इससे गरीबों तक मदद सीधे पहुंच रही है. इसी पर जज ने कहा कि आधार कार्ड गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि आधार पर हमला करना लोगों के अधिकारों पर हमला करने के समान है.
  2. आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है: आधार की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है. फैसला पढ़ते हुए जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि हर चीज बेस्ट हो, कुछ अलग भी होना चाहिए. आधार कार्ड पिछले कुछ साल से चर्चा का विषय बना है.
  3. आधार में देनी पड़ती है कम जानकारी: आधार की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार के लिए काफी कम जानकारी ली जाती है. ऐसे में लोगों की निजी जानकारी सुरक्ष‍ित है.
  4. आधार के डुप्लीकेट का कोई खतरा नहीं: आधार की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा कि डुप्लीकेट आधार नहीं बनाया जा सकता है. आधार एकदम सुरक्षित है.
  5. मौलिक अधिकारों पर बैन लग सकता है: जस्टिस सीकरी ने यह भी कहा कि लोगों को सशक्त बनाने के लिए मौलिक अधिकारों पर बैन लग सकता है.