सांकेतिक तस्वीर
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महाराष्ट्र में जिस 50-50 फार्मूले को लेकर शिवसेना-बीजेपी के बीच तकरार चल रहा है, वह बिहार से ईजाद हुआ है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बीच सीटों के बंटवारे में इस फार्मूले को आजमाया था। इसी को हथियार बनाते हुए शिवसेना अब तीसरी बार बीजेपी पर दबाव बना रही है।

एक केंद्रीय मंत्री ने बताया, '50-50 फार्मूला सबसे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में सामने आया था। इसी फार्मूले के आधार पर बिहार में एनडीए की घटक बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था। इसके बाद से शिवसेना प्रमुख उद्धव लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक इसी फार्मूले के दम पर सीटों के लिए दबाव बनाते रहे। लेकिन अब मुख्यमंत्री के पद के लिए दावा ठोकना 50-50 फार्मूले की गलत व्याख्या है।'

दरअसल, इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी में बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में घमासान मचा था। जेडीयू ने बीजेपी से उसके बराबर सीटें मांगी थी। जबकि साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पास 22 लोकसभा सीटें थीं और जेडीयू के पास सिर्फ दो। जेडीयू विधानसभा चुनाव में मिली सीटों के आधार पर बराबर सीटें चाह रही थी।

बावजूद इसके, बराबर सीटें न मिलने की स्थिति में जेडीयू की ओर से गठबंधन से अलग होने के संकेत दिए जाने के बाद बीजेपी ने 50-50 फार्मूले के तहत 17-17-6 के हिसाब से सीटें बांटी थीं। बीजेपी और जेडीयू ने 17-17 यानी बराबर सीटों पर लड़ने का फैसला किया और तीसरी सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को छह सीटें दी गई थीं। बिहार में 16 फरवरी को 50-50 फार्मूले के तहत बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था।

इसके तुरंत बाद बीजेपी जब महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सीटों का बंटवारा करने बैठी तो उद्धव ठाकरे ने कहा कि बिहार की तरह महाराष्ट्र में भी 50-50 फार्मूला लागू होना चाहिए। दबाव कायम करने के बाद आखिरकार 18 फरवरी को बीजेपी को अपने से सिर्फ दो कम, यानी 23 सीटें शिवसेना को देनी पड़ीं। इसके बाद लोकसभा सीटों के बंटवारे के दौरान भी शिवसेना बराबर सीटों की मांग पर अड़ गई थी। तब बीजेपी ने 124 सीटें देकर मामला सुलझाया था।

इस बार के विधानसभा चुनाव के नतीजे जब 24 अक्टूबर को आए तो बाद उद्धव ठाकरे ने प्रेसवार्ता कर 50-50 फार्मूले की नई व्याख्या करते हुए संकेत दिए कि शिवसेना ढाई साल सरकार चलाना चाहती है। इसके बाद पेच इस कदर फंसा कि नतीजे आने के हफ्ते भर बाद भी बीजेपी-शिवसेना की सरकार नहीं बन सकी है।

दोनों दल अपने-अपने विधायक दल का नेता चुन चुके हैं और संभावित सरकार में पदों के बंटवारे को लेकर समझौते की कोशिशें जारी हैं। इस तरह शिवसेना अब तक तीन बार 50-50 फार्मूले के आधार पर बीजेपी को घेर चुकी है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी आईएएनएस द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.